भारत सरकार के द्वारा किसान भाइयों के हित को ध्यान में रखते हुए वर्तमान समय में अनेक तरह की योजनाएं चलाई जा रही है। गायों के संरक्षण व नस्ल विकास के लिए वर्तमान समय में अनेक तरह की योजनाएं चल रही है, और इन योजनाओं के माध्यम से गौ सेवकों को आर्थिक व सामाजिक सहायता प्रदान किया जा रहा है। हाल ही में भारत सरकार के द्वारा राष्ट्रीय गोकुल योजना (Rashtriya Gokul Yojana) की शुरुआत की गयी है और इस योजना के माध्यम से गायों के संरक्षण व नस्ल के विकास को वैज्ञानिक विधि से सहायता प्रदान किया जाएगा। यदि आप इस योजना से संबंधित किसी भी तरह की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तब इस पोस्ट में इस योजना से संबंधित सभी जानकारी मौजूद है।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन क्या है?
भारत सरकार के तात्कालिक कृषि मंत्री राधामोहन सिंह द्वारा 28 जुलाई 2014 को राष्ट्रीय गोकुल योजना की शुरुआत की गयी थी, और इस योजना के माध्यम से स्वदेशी गायों के संरक्षण तथा नस्ल के विकास को वैज्ञानिक विधि से प्रोत्साहित करने की योजना बनाई गई है। तात्कालिक समय में इस योजना के लिए केंद्र सरकार ने 2045 करोड़ रुपए बजट आवंटित किया गया था और 2019 में केंद्र सरकार द्वारा 750 करोड़ रुपए इस योजना के बजट में जोड़ा गया है।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन का मुख्य विशेषता
भारत में गायों की पूजा की जाती है, और वर्तमान समय में देशी गायों की नस्ल कम हो रही है, ऐसे में इस योजना का संचालन किया जा रहा है जिसकी मुख्य विशेषता निम्न है–
- इस योजना का संचालन पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा किया जा रहा है।
- इस योजना के माध्यम से स्वदेशी गायों के संरक्षण तथा नस्ल के विकास को वैज्ञानिक विधि से प्रोत्साहित किया जा रहा है।
- दुधारु पशुओं की अनुवांशिक संरचना में सुधार के लिए समय समय पर नस्ल सुधार कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है।
- इस योजना का लाभ मुख्य रूप से गौ सेवक उठा सकते है।
- दुग्ध उत्पादन में वृद्धि करने का लक्ष्य इस योजना की मुख्य विशेषता है।
- पशु की संख्या में बढ़ोतरी किया जाना है।
- इस योजना के लिए 2014 से 2020 तक लगभग 1842.5 करोड़ रुपए खर्च किया जा चुका है।
- इस योजना के माध्यम से देश के पशुपालक किसानों की आय में वृद्धि होने की संभावना है।
- पशुपालकों के घर में दुधारु पशुओं के लिए गुणवत्तापूर्ण कृतिम गर्भाधान की सुविधा प्रदान किया जा रहा है।
- इस योजना के माध्यम से गांवों में अनुवांशिक योगिता वाले सांड का वितरण किया जा रहा है।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन का उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य स्वदेशी गौवंश पशुओं की नस्ल का संरक्षण और विकास करना है। इसके साथ ही दुग्ध उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है, और दूध की गुणवत्ता में सुधार करना है। राष्ट्रीय गोकुल योजना (Rashtriya Gokul Yojana) के माध्यम से पशुओं के नस्ल के अनुवांशिक विकास करना है और इसके लिए नस्ल सुधार कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है, जिससे दुधारु पशुओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। वर्तमान समय में इस योजना के मदद से लाल सिंध, गिर, थारपरकर और सहीवाल आदि जैसे उन्नत नस्ल की स्वदेशी नस्लों का प्रयोग करके अन्य नस्लों की गायों का विकास करने का उद्देश्य है।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन का लाभ
- इस योजना का लाभ सीधे तौर से पशुपालकों को मिल रहा है।
- इस योजना के माध्यम से आर्थिक सहायता प्रदान किया जा रहा है।
- दुग्ध उत्पादन में इस योजना के माध्यम से वृद्धि हो रही है जिससे पशुपालकों के आय में वृद्धि हो रही है।
- इस योजना के माध्यम से गोकुल ग्राम में रहने वाले दुधारु पशुओं के मलमूत्र से जैविक खाद तैयार किया जाएगा।
- गायों के लिए आसानी से चारे उपलब्ध हो सकेगा।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत गोकुल ग्राम
इस योजना के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में पशु केंद्र बनाए जा रहे है, और इन पशु केंद्रों को गोकुल ग्राम कहा जाता है और इन गोकुल ग्राम में 1000 पशुओं की रखने की व्यवस्था होती है। जितने भी पशु रहेंगे उनके लिए पौष्टिक आहार और चारे उपलब्ध कराया जाएगा, इसके साथ ही प्रत्येक गोकुल ग्राम में एक पशु चिकित्सालय तथा कृत्रिम गर्भाधान सेंटर की व्यवस्था किया जा रहा है, और गोकुल ग्राम में रहने वाले दुधारु पशुओं से दुग्ध उत्पादन करके उसे पास के शहर में बेचा जायेगा और गोबर से जैविक खाद बनाकर उसे किसान भाइयों को उचित दाम में बेचा जायेगा।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत मिलने वाला पुरुस्कार
वर्तमान समय में भारत सरकार द्वारा इस योजना को उचित रूप से संचालन किया जा रहा है और इसके साथ ही लोगो को इस योजना के बारे में अवगत कराने के लिए हर साल पुरुस्कार वितरण किया जाता है, जिससे लोग पशुपलान की तरफ आकर्षित हो। पुरुस्कार वितरण पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा प्रदान किया जा रहा है और साल में तीन पुरुस्कार प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान आने वालो को पुरुस्कार प्रदान किया जाता है। प्रथम और द्वितीय आने पर गोपाल रतन पुरुस्कार वितरण किया जाता है और तृतीय आने पर कामधेनु पुरुस्कार प्रदान किया जाता है। इसके साथ ही स्वदेशी नस्लओ के गौजातीय पशुओं का बेहतर संरक्षण करने वाले पशुपालक को गोपाल रत्न पुरस्कार प्रदान किया जाता है तथा गौशालाओं व सर्वोत्तम प्रबंधित ब्रीड सोसाइटी को कामधेनु पुरुस्कार प्रदान किया जाता है।
“अबतक भारत सरकार द्वारा लगभग 22 गोपाल रतन पुरुस्कार प्रदान किया जा चुका है और 21 कामधेनु पुरुस्कार।”
राष्ट्रीय गोकुल मिशन के लिए आवेदन करने हेतु योग्यता
- आवेदक को भारत का निवासी होना अनिवार्य है।
- आवेदक की उम्र 18 वर्ष या इससे अधिक होना चाहिए।
- इस योजना के लिए छोटे और सीमांत किसान आवेदन कर सकते हैं।
- किसी तरह के लाभ के पद में होने वाले इस योजना के पात्र नही होंगे।
Rashtriya Gokul Mission के लिए आवेदन करने हेतु आवश्यक दस्तावेज
- आधार कार्ड
- मतदाता पहचान पत्र
- आय प्रमाण पत्र
- निवास प्रमाण पत्र
- पासपोर्ट साइज फोटो
- मोबाइल नंबर आदि।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के लिए आवेदन कैसे करें
वर्तमान समय में यदि आप ग्रामीण क्षेत्र में निवास करते हैं और आप इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं तब आप निम्न तरीके को ध्यान में रखकर इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं –
- सबसे पहले आपको इस योजना के लिए आवेदन फार्म डाउनलोड करना होगा और इसके लिए आपको पशुपालन और डेयरी विभाग के आधिकारिक वेबसाइट https://dahd.nic.in/ में जाना होगा। यदि आप आवेदन फॉर्म डाउनलोड नही करना चाहते हैं तब आप जिला पशुपालन और डेयरी विभाग से आवेदन फॉर्म प्राप्त कर सकते हैं।
- अब आप फॉर्म को ध्यान से पढ़कर, सभी जानकारी सही से भर दे।
- इसके पश्चात आप फॉर्म के साथ आवश्यक दस्तावेज अटैच कर दे।
- अब आप फॉर्म को जिला पशुपालन और डेयरी विभाग में जमा कर दे।
- इस तरह से आप आसानी से इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन (Rashtriya Gokul Mission) को शुरुआत केंद्र सरकार द्वारा किया गया है और वर्तमान समय में इस योजना का संचालन भारत के सम्पूर्ण राज्यों में हो रहा है, और इस योजना का मुख्य उद्देश्य गौवंश पशुओं के आनुवंशिकया में वृद्धि व विकास करना है, और गौवंश पशुओं का संरक्षण करना है, ताकि भारत में कभी दुग्ध संकट न आए और किसान भाइयों के आय में हमेशा वृद्धि होती रहे।
FAQ
इस योजना के माध्यम से सभी गौसेवकों को चार माह का कृत्रिम गर्भाधान का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है, और इसमें 1 महीने का सैद्वांतिक प्रशिक्षण कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण संस्थानों में तथा 3 महीने का प्रायोगिक प्रशिक्षण जिलों के कृत्रिम गर्भाधान केन्द्रों/पशु चिकित्सालयों में प्रदान किया जाता है।
क्रॉसब्रीडिंग, इसे डिजाइनर क्रॉसब्रीडिंग भी कहा जाता है, और इसके माध्यम से ऐसे जानवर को प्रजनन करने की प्रक्रिया को संदर्भित किया जाता है, जो कि अक्सर ऐसे वंश बनाना होता है जिसमें माता-पिता दोनों वंशों के लक्षण समान रूप से हो या फिर संकर शक्ति के साथ एक पशु का जन्म होता है।
पशुओं में नस्ल सुधारने तथा दुग्धोत्पादन बढ़ाने के लिए तात्कालिक केंद्र सरकार द्वारा 2004 में गोकुल ग्राम योजना की शुरुआत की गयी थी|