वर्तमान समय मे यदि हम शिक्षा की बात करते है तब शिक्षा का स्तर बढ़ रहा है, और समय के साथ प्रतिस्पर्धा बढ़ रहा है, आज के समय मे किसी भी इंसान को पढ़ना है तब वह सैद्धांतिक रूप के साथ साथ प्रयोगिक रूप में पढ़ना पसंद करता है क्योकि इससे शिक्षा का स्तर बढ़ता है और ज्ञान भी बढ़ता है। इस योजना की शुरूआत भारत सरकार द्वारा किया गया है, नई शिक्षा नीति के तहत सैद्धांतिक ज्ञान के साथ प्रयोगिक शिक्षा को भी शिक्षा के रूप में शामिल किया गया है। वर्तमान समय के बदलते दौर में नई शिक्षा नीति के तहत अनेक उद्देश्य रखा गया है जिसके माध्यम से भारत की शिक्षा व्यवस्था में बदलाव देखने को मिलेगा।
यदि आप नई शिक्षा नीति के बारे में नही जानते है तब आप इस पोस्ट को अंत तक ध्यान से पढ़े, इस पोस्ट में नई शिक्षा नीति के बारे में विस्तार से बताया गया है।
नेशनल एजुकेशन पालिसी (National Education Policy) का क्रियान्वयन भारत सरकार के द्वारा किया जाता है, शिक्षा केंद सूची का विषय है, और इसके अंतर्गत स्कूल एवं कॉलेज के शिक्षा नीति के बारे में निर्धारित किया जाता है कि किस तरह से पढ़ाई व्यवस्था होना चाहिए। भारत सरकार ने 29 जुलाई 2020 को नई शिक्षा नीति की घोषणा किया था जिसके माध्यम से पुरानी शिक्षा नीति में अनेक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है, और इस बदलाव के साथ भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने का संकल्प लिया गया है। मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय वर्तमान समय मे शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाने लगा है। पुरानी शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा 10+2 में निर्धारित था जो कि नई शिक्षा नीति से 5+3+3+4 पैटर्न में निर्धारित किया गया है। और 2030 तक स्कूली शिक्षा में जी ई आर 100% करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
भारत जब से आजाद हुआ है तब से शिक्षा व्यवस्था में अनेक बदलाव हुआ है, और हमेशा से शिक्षा का विकास की संकल्पना पेश किया जाता है ताकि सभी व्यक्ति को उचित शिक्षा मिल सके, इसके लिए सरकार द्वारा अनेक तरह का बदलाव समय समय मे किया जाता रहा है, नई शिक्षा नीति की पेशकश शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशांक ने किया है और उन्होंने नई शिक्षा के लिए अनेक सार्थक पहल प्रस्तुत किया गया है। शिक्षा मंत्रालय को 7177 सुझाव प्राप्त हुआ था, और नई शिक्षा नीति को 297 कार्यो के साथ जोड़ा गया है, इसके लिए जिम्मेदार समिति और समयावधि निर्धारित किया गया है। और अबतक 304 परिणाम निर्धारित किया जा चुका है।
शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य भारत मे प्रदान किया जाने वाली शिक्षा को विश्वस्तर में लाना है और भारत की शिक्षा को वैश्विक शिक्षा बनाना है जिससे भारत पुनः विश्व गुरु बन सके। नेशनल शिक्षा नीति के माध्यम से शिक्षा का सार्वभौमीकरण किया जा रहा है ताकि सभी लोगों को एक समान जिस तरह का शिक्षा प्राप्त करना है वह मिल सके। पुरानी शिक्षा नीति में अनेक तरह के बदलाव किया गया है जिससे नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) में संसोधन किया गया है, इस शिक्षा नीति के तहत अनेक तरह के बदलाव आएगा, शिक्षा का स्तर बढ़ेगा।
वर्तमान समय मे यदि भारत को पुनः विश्व गुरु बनाना है, इसके लिए निम्न सिद्धांत निर्धारित किया गया है-
नई शिक्षा नीति का लागू होना देश के लिए बहुत ही फायदेमंद है, वर्तमान समय मे शिक्षा नीति का विस्तार हो रहा है, और नई शिक्षा नीति के माध्यम से स्कूली शिक्षा एवं कॉलेज में मिलने वाली स्कॉलरशिप में विस्तार होगा, पहले की अपेक्षा अब स्कॉलरशिप अनेक क्षेत्र में भी मिलने लगेगा और इस तरह से शिक्षा का विस्तार होने लगा है और प्राइवेट एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन को भी प्रोत्साहन राशि मिलेगा, इस तरह से शिक्षा में बढ़ावा आएगा और प्रयोगिक शिक्षा की ओर लोग उन्मुख होंगे।
National Education Policy (नेशनल एजुकेशन पालिसी) में बदलाव के साथ अब स्कूल एवं कॉलेज के पाठ्यक्रम में बदलाव होगा, और जितना आवश्यकता है उतने ही पढ़ाया जाएगा, उससे अधिक नही। काम की बाते को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है, और हार्ड वर्क को स्मार्ट कैसे कर सकते है उस पर जोर दिया जाएगा, बोर्ड्स के पेपर पहले एक बार होता था अब वह 2 बार होगा इससे विद्यार्थियों का बोझ कम होगा और वर्तमान समय में टीवी चैनल, ऑनलाइन बुक, एप आदि को पढ़ाई में शामिल किया जाएगा, जिससे पाठ्यक्रम बहुत ही आकर्षक एवं ज्ञानवर्धक हो जायेगा।
नेशनल एजुकेशन पालिसी का विजन बहुत ही बढ़ा है, सबसे पहले तो भारत की शिक्षा का स्तर को वैश्विक स्तर का बनाना है जिससे विदेशी छात्र भी यहां पढ़ सके, इसके साथ ही भारत को पुनः विश्व गुरु बनाना है। भारत को ज्ञान के क्षेत्र में सशक्त बनाना है, और इसके साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता में बदलाव लाना है। शिक्षा कौशल में बदलाव के साथ संवैधानिक मूल्यों, देश के साथ जुड़ाव के बारे में बताया जाएगा, इससे देश की प्रगति में किसी तरह की बाधा उत्पन्न नही होगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश की शिक्षा व्यवस्था को पूर्ण रूप से बदल दे रहा है, प्रयोगिक शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है।
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