व्यापार जगत में यह एक अनेकों पहल है, विश्व एवं भारत के नामचीन कंपनियों को भारत मे निवेश करने तथा मैन्युफैक्चरिंग करने के लिए इस नारा का उपयोग किया गया है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों एवं घरेलू कंपनी को अपने उत्पाद भारत मे बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रेरित किया गया, मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के माध्यम से भारत मे व्यापार के साथ यहां के लोगों के लिए रोजगार का अवसर प्रदान करना है, इसके साथ ही भारत मे निवेश करने के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आमंत्रित किया गया है, ताकि भारत मे प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरिंग हो सके और भारत की GDP में बढ़ोतरी हो।
मेक इन इंडिया क्या है :
भारत राष्ट्र के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में मेक इन इंडिया विज़न भारत के समक्ष रखा। इसके माध्यम से सरकार का मूल उद्देश्य है अधिक पूंजी एवं तकनीक निवेश पाना चाहती है, इस प्रोजेक्ट के शुरुआत से भारत सरकार ने बहुत से क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को बढ़ा दिया है जैसे अंतरिक्ष में 74%, रक्षा में 49% आदि, और सरकार ने अभी भी पूरा तरह से FDI (Foreign Direct Investment) के लिए नही खोला है। इस परियोजना के माध्यम से सरकार भारत मे 25 क्षेत्र को चुना गया है जिसमें निवेश करने के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों (Multinational Company) को आमंत्रित किया है तथा इस 25 क्षेत्र में रोजगार में वृद्धि होगा, और निवेश करने वाले आसानी से मिल जायेगा, भारत का उद्देश्य यहाँ बनाओ और विश्व के सम्पूर्ण बाजार में बेचो।
मेक इन इंडिया के क्षेत्र :
वर्तमान समय मे भारत सरकार द्वारा कुछ एरिया में 100% FDI की सुविधा प्रदान किया गया तथा सरकार द्वारा निवेश के आमंत्रित किया गया 25 क्षेत्र निम्न है-
- गाड़िया
- ऑटोमोबाइल अवयव
- विमानन
- जैव प्रौद्योगिकी
- रसायन
- निर्माण
- रक्षा विनिर्माण
- इलेक्ट्रिकल मशीनरी
- इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियाँ
- खाद्य प्रसंस्करण
- सूचना प्रौद्योगिकी एवं बिजनेस प्रोसेस प्रबंधन
- चमड़ा
- मीडिया एवं मनोरंजन
- खनिज
- तेल एवं गैस
- फार्मास्यूटिकल्स
- बंदरगाह एवं शिपिंग
- रेलवे
- नवीकरणीय ऊर्जा
- सड़क एवं राजमार्ग
- अंतरिक्ष एवं खगोल विज्ञान
- कपड़ा एवं परिधानों
- तापीय उर्जा
- पर्यटन एवं आतिथ्य
- कल्याण
इन सभी मे 100% FDI करने की अनुमति दिया गया है, बाकी में मीडिया में 26%, रक्षा में 49% एवं अंतरिक्ष मे 74% दिया गया है।
मेक इन इंडिया का लाभ :
- भारत को एक विनिर्माण हब बनाना है, इसके लिए विदेशी कंपनियों को भारत सरकार कर में छूट प्रदान कर रही है, ताकि वे भारत आसानी से निवेश कर सके।
- भारत की आर्थिक विकास को बढ़ावा देना ताकि भारत आर्थिक रूप से सम्पन्न हो सके, निर्यात एवं उत्पादन में वृद्धि होगी, वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) में भारत का हिस्सा बढ़ेगा।
- रोजगार के अवसर में वृद्धि, जिस तरह से कर में छूट देकर भारत मे विनिर्माण कंपनियों को आमंत्रित किया जा रहा है, यह निवेश व्यापार के साथ साथ रोजगार लेकर आ रही है, भारत की बेरोजगारी दर कम होगी।
- मुद्रा योजना के माध्यम से लोन प्रदान किया जा रहा है, जिससे विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि होगी।
- दस मिलियन लोगों को मेक इन इंडिया (Make in India) के तहत रोजगार मिलने की संभावना है।
- अधिक से अधिक विदेशी निवेश आकर्षित किया जा रहा है।
- भारत मे रक्षा क्षेत्र में निवेश करने के लिए रास्ता खोला गया है, ताकि रक्षा क्षेत्र में भारत सम्पन्न हो सके।
- 25 क्षेत्र में निवेश करने से विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि हो रही है, इसके साथ अनेक तरह के उत्पाद बन रहा है, इससे भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
मेक इन इंडिया का संकल्प :
नरेंद्र मोदी ने विश्व के बहुराष्ट्रीय कंपनियों एवं घरेलू कंपनियों को विनिर्माण के लिए आमंत्रित किया है, ताकि देश मे रोजगार का सृजन हो सके। जितना अधिक उत्पाद बनेगा उतना ज्यादा निर्यात होगा, और भारत की GDP में वृद्धि होगी, इसके पहल का मुख्य उद्देश्य रोजगार सृजन करना तथा 25 क्षेत्रो में कौशल विकास में ध्यान देना ताकि भारत वैश्विक शक्ति के रूप में उभर सके।
मेक इन इंडिया वेंडिन एवं कैनेडी द्वारा डिजाइन किया गया है, और इसका मुख्य संकल्प भारत को विकासशील से विकसित देश मे तब्दील करना है। लाइसेंस के लिए आवेदन कर सके इसलिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा प्रदान किया गया है, ताकि आसानी से आवेदन कर सके और लाइसेंस की समय सीमा में 3 वर्ष को बढ़ोतरी भी किया गया है। अन्य मानदडों में एक निश्चित बदलाव किया गया है।
मेक इन इंडिया का लक्ष्य :
वर्तमान समय मे भारत सरकार द्वारा इस परियोजना के लिए कुछ लक्ष्य निर्धारण किया गया है जो कि निम्न है-
- मध्यम अवधि में यह निर्धारित किया गया है कि निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर में 12-14% प्रति वर्ष वृद्धि करने का लक्ष्य रखा गया है।
- 16% से 25% की वृद्धि 2022 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी में करने का उद्देश्य रखा गया है।
- विनिर्माण क्षेत्र में भारत मे 100 मिलियन अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा करने का लक्ष्य 2022 तक का है।
- राष्ट्र में समावेशी विकास के लिए ग्रामीण प्रवासियों तथा शहरी गरीबों के बीच उचित कौशल का निर्माण का निर्धारण किया गया है।
- वर्तमान समय मे घरेलू मूल्य संवर्धन एवं निर्माण में तकनीकी वृद्धि करने का योजना बनाई गई है।
- संकल्पना के साथ भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना है।
- पर्यावरण के संबंध में विकास की स्थिरता विशेष रूप से सुनिश्चित करने का योजना निर्धारित किया गया है।
मेक इन इंडिया के आगे की दिशा क्या है :
- भारत को एक ऐसा निर्यातक देश बनाना जहां हर उत्पाद आसानी से उपलब्ध हो।
- विश्व मे भारत मे तेजी उभरते हुई अर्थव्यवस्था से पहचान बनाया है।
- गुणवत्तापूर्ण कमर्चारियों की आवश्यकता है।
- जनसांख्यिकीय लाभांश 2-3 दशक के लिए एल फायदे की संकेत साबित हो सकता है।
- भारत को विश्वसनीयता और व्यावसायिकता का स्थिरता रखने की जरूरत है।
- यहाँ जनशक्ति आसानी से उपलब्ध है अन्य देश के अपेक्षा।
- मजबूत उपभोक्तावाद को घरेलू बाजार में बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
- विदेशी निवेशकों के लिए स्थिर वित्तीय बाजार उपलब्ध कराना है।
भारत के समक्ष चुनौती :
मेक इन इंडिया एक क्रांतिकारी विचार है जिसमे निवेश एवं नवाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है, लेकिन भारत के समक्ष कुछ प्रमुख चुनौती है-
- विदेशी निवेशक के सामने सबसे बड़ी समस्या बुनियादी ढाँचा सही से नही होना है, क्योकि वर्तमान समय मे भारत ऊर्जा संकट से गुजर रहा है, ऐसे में निवेश करने वाले डर रहे है।
- राज्य एवं केंद्र के मध्य समन्वय नही है जिससे दोनों की नीतियों में जटिलता है ऐसे में निवेशक को परेशानी हो सकता है।
- निवेशकों के सामने भ्रष्टाचार सबसे बड़ी चुनौती है, ऐसे में वर्तमान सरकार को विश्वास दिलाने की आवश्यकता पड़ रहा है।
- टैक्स व्यवस्था में अभी भी पारदर्शिता नही है।
मेक इन इंडिया से रोजगार :
दुनिया के अनेक से देश है जहां कि GDP (Gross Domestic Product) में वर्तमान समय मे विनिर्माण कंपनियां सर्वाधिक योगदान प्रदान कर रही है, उसी तरह भारत भी बनाना चाहता है, भारत मे रोजगार का सृजन मेक इन इंडिया के माध्यम से किया जा रहा है, और 2021 तक भारत को 250 बिलियन डॉलर का निवेश प्राप्त हो चुका है, तथा भारत के बजट में मेक इन इंडिया कार्यक्रम के लिए 2019-20 में 651.58 करोड़ रुपये आवंटित किया गया था, वही 2020-21 में बजट की राशि बढ़कर 1,281.97 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है। इस तरह से बजट के माध्यम से विनिर्माण कंपनियों को आमंत्रित किया जा रहा है और भारत को आत्मनिर्भर बनाने की संकल्पना को पूरा किया जा रहा है।