मानव के लिए हमेशा से समुद्र के बारे में जानकारी प्राप्त करना उत्सुकता का केंद्र रहा है। स्थलमंडल से अधिक जैव पारस्थिकी समुद्र के गहरे स्थल में समाहित है, और स्थलमंडल से अधिक ऑक्सीजन का उत्पादन जलमंडल में स्थिति जैविक राशियां वर्तमान समय में कर रही है, और खनिज संपदाओ से समुद्र भरा हुआ है। और हाल ही में भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा गहरे समुद्र में खोज हेतु डीप ओशन मिशन (Deep Ocean Mission) की शुरुआत की गयी है। यदि आप इस योजना के बारे में यदि विस्तार से जानना चाहते हैं तब आप इस पोस्ट को ध्यान से पढ़े।
इस योजना की शुरुआत 2018 में भारत सरकार द्वारा किया गया था और इस योजना के माध्यम से गहरे समुद्र में खोज करना है और इस मिशन के माध्यम से भारत की समुद्री सीमा के भीतर समुद्री जीवन, खनिज, तथा ऊर्जा आदि का अनुसन्धान करना है। यह योजना एक तरह से भारत सरकार की ब्लू इकॉनमी पहल का समर्थन करने हेतु है और यह एक मिशन मोड प्रोजेक्ट है। और ब्लू इकॉनमी (Blue Economy) आर्थिक विकास वर्तमान समय में बेहतर आजीविका तथा रोज़गार और स्वस्थ महासागर पारिस्थितिकी तंत्र के लिये समुद्री संसाधनों का सतत् उपयोग करने पर जोर देगी।
इस योजना की शुरुआत ब्लू इकोनॉमी में बढ़ोतरी करने के लिए किया गया है ताकि भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हो सके, तथा इस योजना की मुख्य विशेषता निम्न है–
राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है, जो कि इस योजना का संचालन कर रही है। और इस योजना का मुख्य उद्देश्य निम्न है–
भारत एक विस्तृत राष्ट्र है और हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है, और हाल ही में ब्लू अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा निम्न योजनाएं चलाई जा रही है–
वर्तमान समय में भारत सरकार के द्वारा भारत को विकसित और सम्पन्न बनाने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है, और ब्लू इकोनॉमी को मजबूत करने के लिए भारत सरकार द्वारा डीप ओशन मिशन का संचालन किया जा रहा है, इसके मदद से समुद्री की गहराई में स्थित संसाधनों का पता लगाना है और खनिज संपदा के बारे में अनुसंधान करना है। डीप ओशन मिशन (Deep Ocean Mission) ब्लू इकोनॉमी के लिए एक वरदान साबित होगा और भविष्य में ब्लू इकोनॉमी में ग्रोथ देखने को मिलेगा।
हाल ही में भारत सरकार ने अपना पहला मानवयुक्त महासागर मिशन ‘समुद्रयान’ लॉन्च किया है तथा समुद्रयान परियोजना डीप ओशन मिशन का ही भाग है और इसका क्रियान्वन राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) द्वारा किया गया है।
समुद्री तल में गर्म मैग्मा के वजह से तरल पदार्थ से बना अवक्षेप पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स कहलाता है और इनका छोटे गोल आलू की तरह होता है जो कि मैंगनीज़, निकेल, कोबाल्ट, तांबा व लोहे के हाइड्रॉक्साइड आदि खनिजों से निर्मित होता हैं।
2018 में भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने डीप ओशन मिशन (DOM) लॉन्च किया था, और मौजूद समय में DOM भारत सरकार की ब्लू इकोनॉमी पहल का समर्थन करने वाली एक मिशन मोड प्रोजेक्ट है।
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