प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 25 सितम्बर 2014 को एक योजना की शुरुआत की जिसका नाम है दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (Deen Dayal Upadhyaya Grameen Kaushalya Yojana)। अगर आप वर्ष 2011 की जनगणना रिपोर्ट को देखे तो आप ये बात समझ पाएंगे कि दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना क्यों जरूरी थी। वर्ष 2011 की जनगणना रिपोर्ट के मुताबिक हमारे गांव में 15 वर्ष ले के 35 वर्ष के लोगों की आवादी करीब 5.50 करोड़ थी। जिन्हे ग्रामीण इलाको में काम मिलने में मुश्किलें पैदा होती थी जिसके कारण राष्ट्रीय स्तर पे हमें बेरोजगारी उसके साथ ही अपराध की बढ़ोतरी नज़र आती थी ।
इन सब बातो को ध्यान में रखते हुए जब 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार चुनी गई तो उन लोगो ने इस पे काम करना तब ही शुरू कर दिया था और उसी वर्ष के सितम्बर माह में इसे लागू भी कर दिया जिसके तहत लोगों को कौशल परिक्षण की सुविधा प्रदान की जा सके जिससे वो रोजगार का एक अवसर ढूंढ सके।
क्या–क्या जरूरी बाते है दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना की?
इस योजना के अंतर्गत सरकार ग्रामीण इलाको में रहे रहे युवाओ को जो कि 15 वर्ष से 35 वर्ष की उम्र अवधि में आते है उन्हें कौशल प्रशिक्षण देने के लिए आगे आएगी। सरकार इस योजना में ग्रामीण समुदाय के लोगो को रोजगार के अवसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने का भी काम करेगी। Deen Dayal Upadhyaya Grameen Kaushalya Yojana में सरकार इस बात पे भी ध्यान रखेगी कि प्रशिक्षण पूरा होने के बाद युवाओ को मासिक न्यूनतम मजदूरी से ज्यादा का भुगतान मिल सके इसके साथ ही सरकार इस बात का भी प्रयास करेगी कि युवाओ को उनके योग्यता के आधार पे कुशलता विकसित करने का मौका मिल सके।
क्या है दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के लाभ?
- स्किल्ड प्रशिक्षण की सुविधा देने से युवाओ के करियर में प्रगति|
- ग्रामीण युवाओ को जो की पिछड़े हुए है उन्हें रोजगार के लिए सक्षम बनाना
- ग्रामीण इलाको से शहरो का पलायन कम करना
दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना में पिछड़े एवं शोषित लोगो के लिए रिजर्वेशन की भी सुविधा प्रदान की गई है इस सूचि में 50% आवंटित धन अनुसूचित जाती – जनजाति के लिए, 15 फीसदी हिस्सा अल्पसंख्यकों के लिए और 3% हिस्सा विकलांगो के लिए निर्धारित किया गया है।
किस तरह से ये योजना आम लोगों के बीच पहुँचती है।
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना एक तीन चरणों में विभाजित कार्य योजना है निति निर्माण, तकनिकी सहायता और कामकाजी एजेंसिया। ये योजना पूरी तरह से भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत आती है। इस योजना में कामकाजी एजेंसिया स्किल डेवलपमेंट के साथ साथ प्लेसमेंट में भी मदद करती है। भारत सरकार की इस लोकप्रिय योजना में करीब 26000 रूपए से ले के 1 लाख रूपए प्रति व्यक्ति को मदद राशि देने की सुविधा है। ये राशि पूरे तौर पे प्रशिक्षण की अवधि और योजना के प्रकार पे निर्भर करती है। दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के अंतर्गत 576 घंटे यानि की तीन महीने से ले कर 2304 घंटे यानि की 12 महीने तक के प्रशिक्षण के लिए वित्तीय सहायता देने का प्रावधान है।
इस योजना प्रशिक्षण के लिए बहुत सारे सेक्टरों को शामिल किया गया है जैसे कि छोटे कारोबार, खुदरा कारोबार, निर्माण सम्बंधित रोजगार, ऑटो इंडस्ट्री, इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, पाइपलाइन से सम्बंधित सेक्टर, चमड़े से जुड़ा सेक्टर, रत्न और आभूषण आदि से जुड़े सेक्टरों में मदद के लिए इस योजना में प्रावधान है।
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना योजना से लाभ?
वर्त्तमान समय में दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना को 26 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेशो में संचालित किया जा रहा है। दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (Deen Dayal Upadhyaya Grameen Kaushalya Yojana) के अंतर्गत फ़िलहाल 2200 के करीब ट्रैनिग सेंटर है और इसके साथ ही 1822 प्रोजेक्ट है। इस योजना में करीब 839 प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंटिंग एजेंसिया 56 सेक्टरों में ट्रेनिंग प्रदान कर रही है। अगर हम वर्ष 2020 से 2021 के आकड़े को देखे तो 28687 लोगो को ट्रेनिंग प्रदान की गई थी और करीब 49396 लोगो को 31 मार्च 2021 के पहले प्लेसमेंट की भी सुविधा प्रदान कर दी गई थी।
अगर हम इस योजना के पूरे आकड़े को देखे तो हम पाएंगे कि दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (Deen Dayal Upadhyaya Grameen Kaushalya Yojana) में अब तक करीब 10.81 लाख उमीदवारो को 56 विभिन्न सेक्टरों में ट्रेनिंग की सुविधा प्रदान की जा चुकी है इसके साथ ही लगभग 6.92 लाख उम्मीदवारों को प्लेसमेंट की भी सुविधा प्रदान की गई है।